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Arka Jain University : फार्मेसी के छात्रों व शिक्षकों के लिए आधार युक्त बायोमीट्रिक अटेंडेंस होगा अनिवार्य : डॉ. मोंटू कुमार एम पटेल

– विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग में “अनुसंधान में प्रगतिशील नवाचार और नवीन कार्य क्षेत्रों की पहचान” दो दिवसीय संगोष्ठी आरंभ
– पहली बार झारखंड दौरे पर पहुंचे फार्मेसी कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डॉ मोंटू कुमार एम पटेल
– शिक्षकों और छात्रों का किया मार्गदर्शन, दी कई महत्वपूर्ण जानकारी

Jamshedpur : अर्का जैन विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग में रविवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत हुई। संगोष्ठी का विषय था “अनुसंधान में प्रगतिशील नवाचार और नवीन कार्य क्षेत्रों की पहचान”। इस संगोष्ठी का उद्देश्य फार्मेसी क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार की दिशा में प्रगति को बढ़ावा देना और नई कार्य क्षेत्रों की पहचान करना था। संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के अध्यक्ष डॉ. मोंटू कुमार एम पटेल मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे, जबकि काउंसिल के एग्जीक्यूटिव कमेटी सदस्य धर्मेंद्र सिंह विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित थे।

अरका जैन विश्वविद्यालय : फार्मेसी के छात्रों व शिक्षकों के लिए आधार युक्त बायोमीट्रिक अटेंडेंस होगा अनिवार्य : डॉ. मोंटू कुमार एम पटेल

– विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग में “अनुसंधान में प्रगतिशील नवाचार और नवीन कार्य क्षेत्रों की पहचान” दो दिवसीय संगोष्ठी आरंभ
– पहली बार झारखंड दौरे पर पहुंचे फार्मेसी कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डॉ मोंटू कुमार एम पटेल
– शिक्षकों और छात्रों का किया मार्गदर्शन, दी कई महत्वपूर्ण जानकारी

जमशेदपुर : अर्का जैन विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग में रविवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत हुई। संगोष्ठी का विषय था “अनुसंधान में प्रगतिशील नवाचार और नवीन कार्य क्षेत्रों की पहचान”। इस संगोष्ठी का उद्देश्य फार्मेसी क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार की दिशा में प्रगति को बढ़ावा देना और नई कार्य क्षेत्रों की पहचान करना था। संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के अध्यक्ष डॉ. मोंटू कुमार एम पटेल मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे, जबकि काउंसिल के एग्जीक्यूटिव कमेटी सदस्य धर्मेंद्र सिंह विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित थे।

संगोष्ठी के विषय पर चर्चा

संगोष्ठी का उद्घाटन समारोह विश्वविद्यालय के अधिकारियों और अतिथियों की उपस्थिति में संपन्न हुआ। उद्घाटन सत्र में डॉ. मोंटू कुमार पटेल ने फार्मेसी के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमारे देश में फार्मेसी अनुसंधान के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है और अब हमें नए कार्य क्षेत्रों को पहचानने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इन क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके।” उन्होंने यह भी बताया कि फार्मेसी शिक्षा और अनुसंधान में प्रगति के लिए संस्थानों और उद्योगों के बीच सहयोग आवश्यक है। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि फार्मेसी शिक्षा को और अधिक गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए छात्रों के साथ ही शिक्षकों के लिए भी बायोमीट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य किया जा रहा है। यह उनके आधार से लिंक होगा। यानि यह आधार युक्त बायोमीट्रिक अटेंडेंस होगा। ताकि शिक्षक हों या छात्र क्लास में उनकी उपस्थिति व पठन-पाठन सुनिश्चित हो सके। यह फर्जी सर्टिफिकेट लेकर दुकानदारी करनेवालों पर नकेल कसने की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम होगा। इसके साथ ही नई शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020) के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। छात्रों व अभिभावकों की मांग पर फार्मेसी में डिप्लोमा या डिग्री कोर्स पूरा करने के पश्चात एग्जिट एग्जाम तीन के बजाय एक पेपर का करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इससे इस परीक्षा की फीस भी काफी कम हो जायेगी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि यह मांग जल्द पूरी होगी। इसके अलावा उन्होंने बताया कि फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया 20 करोड़ रुपये की लागत से देश के चार जोन में स्किल सेंटर की स्थापना करने जा रहा है, जहां कोर्स पूरा करने के बाद छात्र-छात्राओं को निःशुल्क कौशल विकास के उद्देश्य से प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जायेगा। इसके लिए काउंसिल केंद्र व राज्य सरकारों का सहयोग लेगा। उन्होंने बताया कि फार्मेसी के क्षेत्र में देश ही नहीं, पूरे विश्व में अपार संभावनाएं हैं। आवश्यकता है गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण की। इसके लिए काउंसिल सभी आवश्यक कदम उठा रहा है।

इस दौरान धर्मेंद्र सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा, “संगोष्ठियों जैसे आयोजनों से फार्मेसी क्षेत्र में शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार को एक नई दिशा मिलती है। इसमें भाग लेने वाले शोधकर्ता और उद्योगपति अपनी विशेषज्ञता से न केवल एक-दूसरे से सीखते हैं, बल्कि एक मजबूत नेटवर्क भी बनाते हैं।” उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपनी विचारधारा को न केवल देश की सेवा में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी उपयोगी बनाएं।

संगोष्ठी का उद्देश्य और महत्व
संगोष्ठी के कन्वेनर प्रो (डॉ) ज्योतिर्मय साहू ने बताया कि यह संगोष्ठी फार्मेसी क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। उन्होंने कहा, “यह संगोष्ठी हमारे विश्वविद्यालय के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ने इस कार्यक्रम में शिरकत की है। इससे हमारे छात्रों और शिक्षकों को फार्मेसी के क्षेत्र में किए जा रहे नवीनतम शोध और नवाचार से अवगत होने का अवसर मिलेगा।”

विश्वविद्यालय के निदेशक सह कुलसचिव डॉ. अमित कुमार श्रीवास्तव ने संगोष्ठी के उद्घाटन पर कहा, “यह संगोष्ठी निश्चित रूप से अनुसंधान के नए रास्तों और क्षेत्रों की पहचान में सहायक सिद्ध होगी, जो फार्मेसी उद्योग को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।” उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी में अनुसंधान और नवाचार पर विस्तृत चर्चा के साथ-साथ फार्मेसी उद्योग से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर भी विचार किया जाएगा। यह आयोजन फार्मेसी के क्षेत्र में प्रगति और नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह संगोष्ठी न केवल फार्मेसी शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ने की दिशा में काम करेगी, बल्कि अनुसंधान के नए क्षेत्रों की पहचान कर उद्योग में सुधार और नवाचार के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनेगी।

उद्घाटन समारोह और प्रमुख उपस्थित लोग

संगोष्ठी का उद्घाटन समारोह विशेष रूप से भव्य रहा। अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर संगोष्ठी का विधिवत उद्घाटन किया। इस दौरान विश्वविद्यालय मैनेजमेंट बोर्ड के चेयरपर्सन डॉ. एसएस रजी, कुलपति डॉ. ईश्वरन अय्यर, परिसर निदेशक डॉ. अंगद तिवारी, संयुक्त सचिव डॉ. जसबीर धंजल समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

प्रतिभागियों और विद्वानों का योगदान

इस संगोष्ठी में देशभर के फार्मेसी संस्थानों के छात्र-छात्राओं और विद्वान शामिल हो रहे हैं। संगोष्ठी में शामिल होने वाले कुछ प्रमुख वक्ताओं में डॉ. दुलाल कृष्ण त्रिपाठी, डॉ. पापिया मित्र मजूमदार, डॉ. पिंटू दे, डॉ. चित्तरंजन साहू, और जय गणेश जैसे नामचीन विद्वान शामिल हैं। ये सभी वक्ता अपने अनुभवों और विचारों से फार्मेसी अनुसंधान और नवाचार के महत्व पर प्रकाश डालेंगे।z

संगोष्ठी का उद्घाटन समारोह विश्वविद्यालय के अधिकारियों और अतिथियों की उपस्थिति में संपन्न हुआ। उद्घाटन सत्र में डॉ. मोंटू कुमार पटेल ने फार्मेसी के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमारे देश में फार्मेसी अनुसंधान के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है और अब हमें नए कार्य क्षेत्रों को पहचानने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इन क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके।” उन्होंने यह भी बताया कि फार्मेसी शिक्षा और अनुसंधान में प्रगति के लिए संस्थानों और उद्योगों के बीच सहयोग आवश्यक है। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि फार्मेसी शिक्षा को और अधिक गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए छात्रों के साथ ही शिक्षकों के लिए भी बायोमीट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य किया जा रहा है। यह उनके आधार से लिंक होगा। यानि यह आधार युक्त बायोमीट्रिक अटेंडेंस होगा। ताकि शिक्षक हों या छात्र क्लास में उनकी उपस्थिति व पठन-पाठन सुनिश्चित हो सके। यह फर्जी सर्टिफिकेट लेकर दुकानदारी करनेवालों पर नकेल कसने की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम होगा। इसके साथ ही नई शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020) के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। छात्रों व अभिभावकों की मांग पर फार्मेसी में डिप्लोमा या डिग्री कोर्स पूरा करने के पश्चात एग्जिट एग्जाम तीन के बजाय एक पेपर का करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इससे इस परीक्षा की फीस भी काफी कम हो जायेगी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि यह मांग जल्द पूरी होगी। इसके अलावा उन्होंने बताया कि फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया 20 करोड़ रुपये की लागत से देश के चार जोन में स्किल सेंटर की स्थापना करने जा रहा है, जहां कोर्स पूरा करने के बाद छात्र-छात्राओं को निःशुल्क कौशल विकास के उद्देश्य से प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जायेगा। इसके लिए काउंसिल केंद्र व राज्य सरकारों का सहयोग लेगा। उन्होंने बताया कि फार्मेसी के क्षेत्र में देश ही नहीं, पूरे विश्व में अपार संभावनाएं हैं। आवश्यकता है गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण की। इसके लिए काउंसिल सभी आवश्यक कदम उठा रहा है।

इस दौरान धर्मेंद्र सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा, “संगोष्ठियों जैसे आयोजनों से फार्मेसी क्षेत्र में शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार को एक नई दिशा मिलती है। इसमें भाग लेने वाले शोधकर्ता और उद्योगपति अपनी विशेषज्ञता से न केवल एक-दूसरे से सीखते हैं, बल्कि एक मजबूत नेटवर्क भी बनाते हैं।” उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपनी विचारधारा को न केवल देश की सेवा में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी उपयोगी बनाएं।

संगोष्ठी का उद्देश्य और महत्व
संगोष्ठी के कन्वेनर प्रो (डॉ) ज्योतिर्मय साहू ने बताया कि यह संगोष्ठी फार्मेसी क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। उन्होंने कहा, “यह संगोष्ठी हमारे विश्वविद्यालय के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ने इस कार्यक्रम में शिरकत की है। इससे हमारे छात्रों और शिक्षकों को फार्मेसी के क्षेत्र में किए जा रहे नवीनतम शोध और नवाचार से अवगत होने का अवसर मिलेगा।”

विश्वविद्यालय के निदेशक सह कुलसचिव डॉ. अमित कुमार श्रीवास्तव ने संगोष्ठी के उद्घाटन पर कहा, “यह संगोष्ठी निश्चित रूप से अनुसंधान के नए रास्तों और क्षेत्रों की पहचान में सहायक सिद्ध होगी, जो फार्मेसी उद्योग को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।” उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी में अनुसंधान और नवाचार पर विस्तृत चर्चा के साथ-साथ फार्मेसी उद्योग से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर भी विचार किया जाएगा। यह आयोजन फार्मेसी के क्षेत्र में प्रगति और नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह संगोष्ठी न केवल फार्मेसी शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ने की दिशा में काम करेगी, बल्कि अनुसंधान के नए क्षेत्रों की पहचान कर उद्योग में सुधार और नवाचार के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनेगी।

उद्घाटन समारोह और प्रमुख उपस्थित लोग

संगोष्ठी का उद्घाटन समारोह विशेष रूप से भव्य रहा। अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर संगोष्ठी का विधिवत उद्घाटन किया। इस दौरान विश्वविद्यालय मैनेजमेंट बोर्ड के चेयरपर्सन डॉ. एसएस रजी, कुलपति डॉ. ईश्वरन अय्यर, परिसर निदेशक डॉ. अंगद तिवारी, संयुक्त सचिव डॉ. जसबीर धंजल समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

प्रतिभागियों और विद्वानों का योगदान

इस संगोष्ठी में देशभर के फार्मेसी संस्थानों के छात्र-छात्राओं और विद्वान शामिल हो रहे हैं। संगोष्ठी में शामिल होने वाले कुछ प्रमुख वक्ताओं में डॉ. दुलाल कृष्ण त्रिपाठी, डॉ. पापिया मित्र मजूमदार, डॉ. पिंटू दे, डॉ. चित्तरंजन साहू, और जय गणेश जैसे नामचीन विद्वान शामिल हैं। ये सभी वक्ता अपने अनुभवों और विचारों से फार्मेसी अनुसंधान और नवाचार के महत्व पर प्रकाश डालेंगे।

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