Jamshedpur : झारखंड राज्य विश्वविद्यालय संविदा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार पांडेय ने कहा है कि झारखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कार्यरत लगभग 600 आवश्यकता आधारित शिक्षकों को मानदेय के लिए बिल बनाकर जमा करना पड़ता है, जो अव्यवहारिक है। उन्होंने बताया कि महाविद्यालयों में प्रिंसिपल कक्षाओं की निगरानी करते हैं, और बायोमेट्रिक एटेंडेंस भी उपलब्ध रहता है। बावजूद अलग से बिल बनाकर जमा करवाना सरकार मानसिक प्रताड़ना के समान है। राकेश पांडेय ने कहा है कि हाल ही में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने आवश्यकता आधारित शिक्षकों के लिए चार पन्नों का एक नया फार्म जारी किया है, जिसे भरना महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों के लिए एक कठिन कार्य बन गया है। यह प्रक्रिया शिक्षकों के लिए अत्यंत समस्याग्रस्त है और इससे वे परेशान हैं।
उन्होंने कहा है कि संघ के प्रतिनिधिमंडल जल्द ही राज्यपाल से मिलकर आवश्यकता आधारित शिक्षकों के लिए बिल बनाने की प्रक्रिया समाप्त करने का आग्रह करेगा। साथ ही शिक्षा मंत्री और सचिव से एकमुश्त तय मानदेय राशि को महीने की पहली तारीख को सीधे अकाउंट में भेजने के निर्देश देने की भी मांग की जाएगी। राकेश कुमार पांडेय ने बताया कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में आवश्यकता आधारित शिक्षकों के मानदेय की प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं हो पाती। इससे उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अगर बिल बनाने की प्रक्रिया समाप्त कर दी जाती है और मानदेय नियमित रूप से हर महीने की पहली तारीख को अकाउंट में हस्तांतरित कर दी जाती है, तो शिक्षक अपने कार्य को सकारात्मक तरीके से निभा सकेंगे।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार इस मुद्दे पर सहमत नहीं होती है, तो संघ आंदोलन करने पर विचार कर सकता है। पाण्डेय ने आशा व्यक्त की कि सरकार उनकी 6 से 7 वर्षों की सेवा को देखते हुए उचित निर्णय लेगी, जैसा कि माननीय उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री ने संकेत दिया है।
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