• उपायुक्त के निर्देश पर अपर उपायुक्त ने की यातायात एवं सड़क सुरक्षा समिति की बैठक
  • हिट एंड रन, सड़क दुर्घटना, पार्किंग एवं सुगम यातायात व्यवस्था, सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान, ब्लैक स्पॉट की हुई समीक्षा, दिए गये आवश्यक दिशा-निर्देश

Jamshedpur : जिले के उपायुक्त अनन्य मित्तल के निर्देशानुसार समाहरणालय सभागार में सोमवार को यातायात एवं सड़क सुरक्षा की बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता अपर उपायुक्त योगेन्द्र प्रसाद ने की। इसमें बताया गया कि विगत जून माह में जिले में 31 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई और 20 लोग गम्भीर रुप से घायल हुए।

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सड़क दुर्घटनाओं को लेकर चिंता जाहिर करते हुए गलत दिशा में ड्राइविंग करते पकड़े जाने पर कठोर कार्रवाई का निर्देश दिया गया। कई सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में गलत दिशा में ड्राइविंग ही प्रमुख कारण पाया गया। साथ ही बताया गया कि जून माह में सड़क सुरक्षा नियमों की अवहेलना पर 353 वाहन चालकों का ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड किया गया।

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इसके अलावा वाहन जांच अभियान में बिना हेलमेट के दोपहिया वाहन चालक और बिना सीटबेल्ट के चारपहिया वाहन चालकों समेत अन्य यातायात नियमों की अवहेलना करते पकड़े जाने पर दोषियों से 11 लाख रुपये से अधिक जुर्माना वसूला गया।

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बैठक में हिट एंड रन में मुआवजा भुगतान, ब्लैक स्पॉट, सड़क दुर्घटनाएं, बिना हेलमेट दो पहिया वाहन चलाने, ओवर लोडिंग, ओवर स्पीड, बिना सीट बेल्ट के चालकों पर कार्रवाई की समीक्षा की गई। साथ ही सड़क हादसों को नियंत्रित करने तथा सड़क सुरक्षा के प्रावधानों को प्रभावी तरीके से अमल में लाने पर चर्चा की गई।

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इस क्रम में हिट एंड रन मामले में लंबित आवेदनों पर तेज गति से कार्रवाई करते हुए पीड़ित परिवारों को मुआवजा भुगतान का निर्देश दिया गया। ओरस्पीडिंग व स्टंटबाजी करने वाले युवाओं को चिन्हित कर प्रभावी करने की बात कही गई। बैठक में डीटीओ धनंजय, शिक्षा विभाग, एनएचएआई, ट्रैफिक डीएसपी समेत अन्य संबंधित विभगों के पदाधिकारी शामिल हुए।

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– करीम सिटी कॉलेज के हिंदी विभाग में संगोष्ठी आयोजित

Jamshedpur : साकची स्थित करीम सिटी कॉलेज के हिंदी विभाग में सोमवार को साहित्यकार व महाभारत धारावाहिक के पठकथा लेखक डॉ. राही मासूम रजा की जयंती मनायी गयी। इस अवसर पर एक विभागीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें अतिथि वक्ता जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रो. सुनीता गुड़िया उपस्थित थीं।

विषय प्रवेश कराते हुए विभाग की प्रो. डॉ. संध्या सिन्हा ने कहा कि डॉ. राही मासूम रजा अपने को गंगा का बेटा कहते हैं। डॉ. राही मासूम रजा एक ऐसे रचनाकार के रूप में प्रतिष्ठित हुए, जिनकी रचनात्मक उम्र संस्कृत से उर्दू तक और महाकाव्य से गजलों तक की रही है। भारतीय संस्कृति को गहराई से पहचानने वाले डॉ. राही मासूम रजा की रचना में समन्वय का सरोकार रहता है।

अतिथि वक्ता प्रो. सुनीता गुड़िया ने कहा कि उपन्यास से लेकर काव्य और गजल से लेकर फिल्म संवाद तक कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं, जहां डा. राही मासूम रजा ने अपनी मजबूत समन्वयवादी विचारधारा और शैली के साथ हस्तक्षेप न किया हो। महाभारत के कभी न भुलाए जा सकने वाले डायलॉग्स आज भी उनकी अद्भुत शैली का रंग बिखेरते हैं। डॉ राही मासूम रजा कट्टरता के सख्त विरोधी थे। साथ ही अपने अंदर एक मूल्यवान सांस्कृतिक पहचान को समेटे हुए थे।

उन्होंने कहा कि विभाजन से आहत डॉ मासूम राही रजा हमेशा मिलीजुली संस्कृति के पैरोकार रहे हैं। यही कारण था कि सिर्फ रचना के स्तर पर ही नहीं, बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी वे सामाजिक समानता के प्रति संघर्षरत रहे। यही कारण है कि एक तरफ डॉ. राही मासूम रजा, आधा गांव’ लिखते हैं, तो दूसरी तरफ महाभारत टीवी सीरियल की पटकथा लिखते हैं।

कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सुभाषचंद्र गुप्ता ने कहा कि डॉ. रही मासूम रजा व्यवस्था के खिलाफ बुलंद आवाज में बोल सकते थे। वे भारतीय साझी संस्कृति और जीवन शैली के बहुत बड़े अध्येता थे। संगोष्ठी में कई छात्र-छात्राओं ने डॉ राही मासूम रजा की शायरी का पाठ किया और चार विद्यार्थियों ने उनके एक-एक उपन्यास पर चर्चा की। छात्रा निशा भट्टाचार्जी ने संचालन और विभाग के प्रो. (डॉ.) फिरोज आलम ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संगोष्ठी में हिंदी विभाग के विभिन्न सेमेस्टर के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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