Adwik / Jamshedpur : जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट से संभावित उम्मीदवार के रूप में सरयू राय का नाम चर्चा में आते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं में असंतोष की लहर दौड़ गई है। जदयू के टिकट पर सरयू राय को उम्मीदवार बनाए जाने की अटकलें तेज हो चुकी हैं, और भाजपा के निचले स्तर के कार्यकर्ताओं में इसे लेकर तीव्र विरोधाभास उभर रहा है।
भाजपा के लंबे समय से चले आ रहे रायशुमारी की परंपरा पर सवाल खड़े हो गए हैं, क्योंकि कार्यकर्ताओं का मानना है कि जब उम्मीदवार पहले से ही तय है, तो रायशुमारी की प्रक्रिया महज औपचारिकता बनकर रह जाती है। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पार्टी नेतृत्व जानबूझकर कार्यकर्ताओं की भावनाओं की अनदेखी कर रहा है। वे कहते हैं, “अगर पार्टी नेतृत्व को अपने हिसाब से उम्मीदवार चुनना है, तो रायशुमारी की प्रक्रिया का कोई औचित्य नहीं रह जाता। इसे सिर्फ दिखावे के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है, और भविष्य में इसे न दोहराना ही बेहतर होगा।”
हालांकि यह माना जाता है कि पार्टी नेतृत्व का निर्णय अंतिम होता है, लेकिन जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरयू राय को लेकर उनके मन में पहले से ही नाराजगी है। ऐसे नेताओं को उम्मीदवार बनाने से पार्टी के संगठनात्मक ढांचे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि कार्यकर्ताओं का जिन नेताओं से भावनात्मक जुड़ाव है, उन्हें ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
इस पूरे घटनाक्रम में भाजपा के एक अनुभवी कार्यकर्ता ने दबी जुबान में कहा, “अगर भाजपा ने एनडीए गठबंधन के तहत जदयू के सरयू राय को टिकट दे भी दिया, तो उनके समर्थन में काम करना हमारे लिए बहुत कठिन हो जाएगा। ऐसे में पार्टी के भीतर फूट की स्थिति पैदा हो सकती है और कार्यकर्ताओं के मनोबल पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।”
चर्चा यह भी है कि अगर सरयू राय को टिकट मिलता है, तो भाजपा कार्यकर्ता खुले तौर पर उनके खिलाफ नाराजगी व्यक्त कर सकते हैं, जिससे पार्टी के चुनावी प्रदर्शन पर असर पड़ेगा। इस स्थिति में पार्टी को नेतृत्व के स्तर पर गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता है, क्योंकि एक गलत फैसला पूरे चुनावी समीकरण को बिगाड़ सकता है। कार्यकर्ताओं की रायशुमारी और जमीनी स्तर के नेताओं की भावनाओं का सम्मान करना पार्टी के भविष्य के लिए बेहद जरूरी है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर भाजपा ने सरयू राय को टिकट दिया, तो कार्यकर्ताओं में असंतोष और पार्टी की पारंपरिक रायशुमारी पर गहरी चोट लगेगी, जिससे भाजपा के लिए आगामी चुनावी परिदृश्य और अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
[wpse_comments_template]