Jamshedpur : जमशेदपुर महानगर कमेटी में अनिल मोदी को लगातार तीसरी बार महामंत्री बनाए जाने पर पार्टी में विरोध के स्वर फूटने लगे हैं। पार्टी के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं का कहना है कि वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा GST लगाए जाने पर भाजपा अनिल मोदी के नेतृत्व में वस्त्रों की होली जलाई गई थी। तब भी वह जमशेदपुर महानगर कमेटी में महामंत्री थे। पार्टी के निर्णय का विरोध किए जाने की स्थिति में उनके खिलाफ पार्टी के स्तर से कार्रवाई के बजाय उन्हें लगातार तीसरी बार महामंत्री बनाया गया है। इससे नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में असंतोष है। भाजपा नेता एवं भाजयुमो के पूर्व मीडिया प्रभारी अमर सिंह ने कहा है कि संगठन मंत्री, महामंत्री, प्रदेश अध्यक्ष से लिखित शिकायत के बाद भी अनिल मोदी को पुनः महामंत्री बनाया गया है
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अमर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी जमशेदपुर महानगर के सभी मनोनीत पदाधिकारियों को बधाई एवम शुभकामनाएं दी है। साथ ही कहा है कि राष्ट्र की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा का महानगर पदाधिकारियों की नियुक्ति संगठन का एक हिस्सा है, परन्तु पहले जो चुनाव से पदाधिकारियों का निर्वाचन होता था, उसकी जगह अब करीबियों और पैरवीकार के मनोनयन की प्रथा से पार्टी कमजोर होती जा रही है। इससे कर्मठ कार्यकर्ताओ का मनोबल गिरता जा रहा है।
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उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक देश एक टैक्स के तहत कपड़ों पर भी GST लगाया गया था। तब पार्टी में महामंत्री के पद पर रहते हुए अनिल मोदी ने पार्टी के संविधान से इतर जाकर सार्वजानिक रूप से विरोध जताया था। बावजूद भाजपा उनसे काबिल आदमी अपने कार्यकर्ताओ में खोज नहीं पाती है। यह कोई आंतरिक समझौता है या कोई बड़ी पैरवी है, जिस कारण पार्टी बार-बार अनिल मोदी को ही महामंत्री बनाती है?
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अमर सिंह ने तंज कसते हुए पार्टी से मांग की है कि अनिल मोदी को जेड प्लस की सुरक्षा दी जाये, क्योंकि अनिल मोदी को कुछ हो गया तो पार्टी को महामंत्री नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा है कि बचपन से सुनता आया हूं कि भाजपा एक राष्ट्रवादी और एक विचारधारा की पार्टी है, परन्तु कुछ ज्ञानी एवं अहंकारी पदाधिकारी कार्यकर्ताओं से संवाद नहीं करके भाजपा की दुर्गति कर रहे है। अगर जीत का अमृत निकालना है, तो 2019 के हार का मंथन करना पड़ेगा। वरना परिणाम आशा अनुरूप नहीं आएगा। संगठन के कार्यकरर्ताओं से संवाद टूट चुका है। कार्यकरर्ताओं की बात सुनने या समझने को कोई तैयार ही नहीं है।
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