रांची : मंगलवार को झारखंड हाई कोर्ट में होमगार्ड जवानों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने संबंधी अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। यह सुनवाई जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अध्यक्षता वाली बेंच में हुई, जिसमें पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता और महानिदेशक (डीजी) होमगार्ड अनिल पालटा कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। कोर्ट ने अवमानना याचिका को निरस्त करते हुए यह निर्णय लिया कि होमगार्ड जवानों का एरियर भुगतान राज्य सरकार की लंबित अपील (एलपीए) के निर्णय पर निर्भर करेगा। हालांकि, फिलहाल जवानों को बढ़ी हुई सैलरी मिलती रहेगी।
राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी
महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया कि 25 अगस्त, 2017 को झारखंड हाई कोर्ट ने होमगार्ड जवानों को पुलिसकर्मियों के समान वेतन देने का आदेश दिया था, जिसे राज्य सरकार ने चुनौती दी थी। इस अपील के बाद, 10 अगस्त, 2024 को राज्य सरकार ने होमगार्ड जवानों को बढ़ी हुई सैलरी का लाभ देना शुरू किया। हालांकि, एरियर के भुगतान पर सरकार को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण कोई निर्णय अब तक नहीं लिया जा सका है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की एसएलपी को खारिज किया
इसके पहले, झारखंड सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया था और हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।
होमगार्ड जवानों की मुख्य मांग
झारखंड होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन के प्रार्थियों का कहना है कि होमगार्ड का पद सिविल सेवा का है और वे नियमित पुलिसकर्मियों की तरह ही कार्य करते हैं, इसलिए उन्हें पुलिसकर्मियों के समान वेतन और अन्य लाभ दिए जाने चाहिए। हाई कोर्ट ने अवमानना याचिका को खारिज किया। एरियर का भुगतान राज्य सरकार की अपील के परिणाम पर निर्भर करेगा। होमगार्ड जवानों को बढ़ी हुई सैलरी मिलती रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की एसएलपी खारिज की। यह मामला होमगार्ड जवानों के वेतन और अधिकारों से संबंधित है, जो पुलिसकर्मियों के बराबर सम्मान और लाभ की मांग कर रहे हैं।