Adwik / Jamshedpur : जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने आसन्न विधानसभा चुनाव में जमशेदपुर पूर्वी से बात नहीं बन पाने की स्थिति में जमशेदपुर पश्चिमी सीट से भी चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। इससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा का माहौल गर्म हो गया है। सरयू राय, जो भारतीय जनतंत्र मोर्चा (BJM) के नेता हैं, ने पहले ही जमशेदपुर पूर्वी सीट से निर्दलीय जीत हासिल की थी। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट न मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी भाजमो (BJM) का गठन किया।
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अब, जबकि विधानसभा चुनाव करीब है, सरयू राय ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) से हाथ मिलाया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उन्होंने जदयू (JDU)के माध्यम से जमशेदपुर पूर्वी सीट से टिकट पाने का प्रयास किया, क्योंकि भाजपा और जदयू के बीच गठबंधन है। हालांकि, स्थानीय स्तर पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रभाव के कारण सरयू राय को जमशेदपुर पूर्वी से टिकट मिलने की संभावना कम नजर आ रही है।
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ऐसे में सरयू राय ने अब जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है, जिससे भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं के बीच असमंजस और विरोध उत्पन्न हो गया है। पश्चिमी जमशेदपुर में पिछले पांच वर्षों से सक्रिय भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को श्री राय की इस घोषणा का मतलब पूरी तरह से समझ में आ रहा है। जमशेदपुर पश्चिमी क्षेत्र में जदयू का कोई जनाधार नहीं है और न ही इस क्षेत्र में जदयू के प्रति कोई विशेष समर्थन देखा गया है।
भाजपा कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि सरयू राय को इस सीट पर जदयू से टिकट मिल भी जाता है, तो भाजपा के समर्थन पर सवाल खड़ा हो सकता है, क्योंकि विगत पांच वर्षो के दौरान भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ सरयू राय का तालमेल उतना मजबूत नहीं रहा है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में अपना संगठन और जनाधार मजबूत करने के लिए काम किया है, जबकि सरयू राय ने भाजपा या उसके घटक दलों के लिए विगत पांच वर्षों में कोई काम नहीं किया। ऐसे में उन्हें टिकट मिलता है तो यह भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए गंवारा नहीं होगा।
हालांकि, सरयू राय को एक कुशल और अनुभवी नेता माना जाता है और उनकी रणनीति का अंदाजा लगाना आसान नहीं है। उनके इस निर्णय से जमशेदपुर पश्चिमी की राजनीति में बदलाव की संभावना पर भी चर्चा हो रही है। यह देखना बाकी है कि उनके इस कदम से आगामी चुनाव में क्या प्रभाव पड़ेगा और क्या वे पश्चिमी सीट से भी चुनाव लड़ पाएंगे।
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरयू राय के इस निर्णय से जमशेदपुर की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच इसे लेकर विभिन्न मतभेद उभर सकते हैं।
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