Adwik M / Jamshedpur : राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का यह दावा कि झारखंड में “डेमोग्राफी (Demography) में कोई बदलाव नहीं हुआ है”, वस्तुस्थिति से परे और झारखंड (Jharkhand) के सामाजिक व सांस्कृतिक परिदृश्य की वास्तविकता को नजरअंदाज करने वाला है। यह बात भाजपा (BJP) नेता कैप्टन तरुण ने एक प्रेस बयान के माध्यम से कहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री कैसे बयान की निंदा करते हुए कहा है कि पिछले कुछ दशकों में झारखंड में जनसांख्यिकीय (Demographic) परिवर्तन (Change) स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं, विशेषकर बाहरी लोगों के बसने और स्थानीय निवासियों के अधिकारों के ह्रास के संदर्भ में यह स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है।
कैप्टन तरुण (Capt. Tarun) ने कहा है कि झारखंड, जिसे आदिवासियों की भूमि के रूप में जाना जाता है, यहां की डेमोग्राफी आदिवासी समुदायों के अस्तित्व और उनकी सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी हुई है। हालांकि, विभिन्न औद्योगिक परियोजनाओं, खनन गतिविधियों और बाहरी आबादी के बढ़ते प्रवाह ने झारखंड के मूल निवासियों के अधिकारों पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। इन कारणों से आदिवासियों की आबादी में निरंतर कमी आई है और उनकी सांस्कृतिक जड़ों पर खतरा मंडरा रहा है।
भाजपा नेता (BJP leader) कैप्टन तरुण ने कहा है कि मुख्यमंत्री का यह कहना कि “कोई बदलाव नहीं हुआ”, इन मुद्दों को दरकिनार करने के बराबर है। कई रिपोर्ट्स और जनगणना के आंकड़े यह बताते हैं कि झारखंड में आदिवासी आबादी का प्रतिशत कम हो रहा है, जबकि बाहरी लोगों का प्रभाव और संख्या बढ़ रही है। इससे भूमि, रोजगार और संसाधनों पर झारखंडी आदिवासियों की पकड़ कमजोर हो रही है।
उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) को अपने इस बयान पर पुनर्विचार करना चाहिए और झारखंड के सामाजिक और सांस्कृतिक संतुलन (social and cultural balance) को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। झारखंड के आदिवासी समुदायों की रक्षा के लिए नीति-संगत प्रयासों की आवश्यकता है, जिससे उनकी पहचान और अधिकार संरक्षित रह सकें।