Jamshedpur : झारखंड भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पार्टी अनुशासन को प्राथमिकता देते हुए कड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने बगावत कर चुनावी मैदान में उतरने वाले चार नेताओं को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इन नेताओं के भाजपा विरोधी कदम से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है।
जमशेदपुर पश्चिम से बगावत करने वाले विकास सिंह निष्कासित
इस कड़ी कार्रवाई में सबसे बड़ा नाम विकास सिंह का है, जो पहले भाजपा के सदस्य थे और जमशेदपुर पश्चिम से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे थे। वे एनडीए गठबंधन के जदयू उम्मीदवार सरयू राय के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला कर चुके थे, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया। पार्टी का कहना है कि किसी भी सदस्य को पार्टी के खिलाफ जाने का अधिकार नहीं है, और अनुशासनहीनता के मामले में कड़ी कार्रवाई होगी।
जुगसलाई और जमशेदपुर पूर्वी में भी बागी नेताओं पर गिरी गाज
विकास सिंह के बाद, जुगसलाई से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे बिमल बैठा को भी पार्टी से बाहर कर दिया गया है। बिमल बैठा लंबे समय से जमशेदपुर की राजनीति में सक्रिय रहे हैं, लेकिन उन्होंने इस चुनाव में भाजपा के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरने का निर्णय लिया। इसी तरह, जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे शिवशंकर सिंह और राजकुमार सिंह को भी भाजपा प्रदेश कमेटी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है।
पार्टी के अनुशासन पर सख्ती: ‘बगावत बर्दाश्त नहीं’
भाजपा नेताओं का कहना है कि यह सख्त कदम पार्टी की अनुशासन नीति का प्रतीक है। पार्टी का मानना है कि अगर कोई सदस्य पार्टी के खिलाफ काम करता है, तो उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। इस कार्रवाई से उन नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया गया है जो पार्टी के विचारों से भटक कर अलग राह चुनने की सोच रहे हैं।
अन्य बागी नेताओं पर भी भाजपा की नजर
भाजपा का यह कड़ा कदम यहीं तक सीमित नहीं है। पार्टी ने संकेत दिए हैं कि अभी भी कुछ अन्य नेता पार्टी के अनुशासन से भटक रहे हैं, जिनकी गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि आने वाले समय में ऐसे अन्य बागी नेताओं पर भी कार्रवाई की जा सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का नजरिया: भाजपा की सख्ती का क्या होगा असर?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की इस कार्रवाई से पार्टी की अनुशासन-प्रिय छवि और मजबूत हो सकती है। हालांकि, सवाल यह भी है कि क्या इन निष्कासित नेताओं की स्थानीय पकड़ और लोकप्रियता पार्टी की रणनीति पर असर डाल सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि निष्कासन का फैसला भाजपा की अनुशासन नीति को तो मजबूत करता है, लेकिन इससे पार्टी को स्थानीय स्तर पर चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता है।
अंततः, भाजपा की यह सख्ती आगामी चुनाव में पार्टी की स्थिति को किस तरह प्रभावित करती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
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