Jharkhand Prabhat Desk : महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा ने झारखंड के मंत्री इरफान अंसारी द्वारा भाजपा नेता सीता सोरेन पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर सख्त रुख अपनाया है। अलका ने कहा कि ऐसी अपमानजनक टिप्पणियां समाज में महिलाओं के सम्मान और अधिकारों को ठेस पहुंचाती हैं। उन्होंने इस मामले पर कानूनी कार्रवाई की मांग की है और इसे महिलाओं के खिलाफ असंवेदनशीलता का गंभीर उदाहरण बताया।
घटना तब चर्चा में आई जब 26 अक्टूबर को जामताड़ा विधानसभा सीट से नामांकन के बाद इरफान अंसारी ने सीता सोरेन के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक बात कही। इस टिप्पणी के बाद सीता सोरेन ने अपनी व्यथा एक कार्यक्रम में साझा की, जहां वह अपनी भावनाओं को रोक नहीं सकीं और रो पड़ीं। उनका दर्द महसूस कर कई लोग उनके समर्थन में आए, और इस घटना ने राजनीतिक हलकों में महिलाओं के सम्मान और अधिकारों पर बहस छेड़ दी।
अलका लांबा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “चाहे वो किसी भी पार्टी के नेता हों, इस तरह की अपमानजनक टिप्पणियां बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए। यह सिर्फ एक महिला का नहीं, बल्कि हर महिला का अपमान है। ऐसे मामलों में सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह का व्यवहार करने से पहले सोचे।” अलका ने इस मुद्दे को लेकर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि निर्भया कांड के बाद कांग्रेस सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई अहम कानून बनाए थे, ताकि महिलाओं के साथ किसी भी तरह का अन्याय न हो।
महिला कांग्रेस प्रमुख ने आगे कहा, “हम अपनी पार्टी में महिलाओं के सम्मान के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। यह मामला कोई साधारण बात नहीं है। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाए।” अलका ने पार्टी के अन्य नेताओं को भी इस मामले पर सक्रिय होकर काम करने की बात कही, ताकि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो सके।
सीता सोरेन की इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि राजनीति में महिलाओं के साथ कैसा बर्ताव होता है। यह एक गंभीर मुद्दा है, और इससे यह साफ होता है कि महिलाओं के प्रति सम्मान सिर्फ कहने भर से नहीं, बल्कि कार्यों से भी दिखाया जाना चाहिए। महिला कांग्रेस का यह कदम न सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी है, बल्कि समाज में महिलाओं के सम्मान के प्रति एक सख्त संदेश भी है।
अलका का यह बयान इस बात को स्पष्ट करता है कि महिलाओं के खिलाफ किसी भी तरह के अपमानजनक व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह घटना राजनीतिक दलों के लिए भी एक सबक है कि वे अपने सदस्यों को महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान का पाठ पढ़ाएं, ताकि समाज में महिलाओं के अधिकार और गरिमा को सुरक्षित रखा जा सके।
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